लेखनी कहानी -07-Mar-2022 - आमदनी
आमदनी मेरी इतनी नहीं जान ,
काहे को रखी तूने भौंहें तान |
फरमाइश तेरी इतनी बढ़ी ,
जान मेरी तो सूली चढ़ी |
ख्वाहिशों को थोड़ा नियंत्रित कर लो ,
मन में अपने संतोष को भर लो |
रुपया थोड़ा हैं आज मेरी कमाई ,
उस पर भी तूने नजर गड़ाई |
खर्चों की फेहरिस्त दिखाए ,
नई चुनर को आंखें बिछाए |
सोने की तगड़ी लेने की तेरी इच्छा ,
हीरों का हार चाहिए तुझको सच्चा |
राशन का मुझ पर अलग तकादा ,
पेट्रोल का दाम भी बढ़ गया ज्यादा |
एसी , कूलर से मेरा बिल बढ़ गया ,
पार्लर का खर्चा दिल में गढ़ गया |
बच्चों की तो फरमाइश अलग हैं ,
क्लब जाने कि उन्हें लगी तलब हैं |
किट्टी पार्टी जो तुम हो करती ,
ताश में जेब मेरी ढीली करती |
नई ड्रेस देख सखी की शौक चर्राया ,
देखा उसे तो चेहरा तेरा मुरझाया |
प्यार से तुमने फिर धमकी दे डाली ,
दिला दो देखो मुझको कानों की बाली |
ऐसे न अब हमारा काम चलेगा ,
रुपया तुमको ज्यादा कमाना पड़ेगा |
देखो डार्लिंग तुम मेरी भी सुन लो ,
ऐसे न तुम अब ख्वाबों को बुन लो |
आमदनी मेरी जब भी बढ़ेगी ,
तेरे ही कदमों में आकर चढ़ेगी |
इतने तो खर्चों में कटौती कर लो ,
प्यार से मुझको आगोश में भर लो |
कम आमदनी का तुम रोना छोड़ो ,
प्रेम से हमारे अब मुंह न मोड़ो ||
वार्षिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Seema Priyadarshini sahay
07-Mar-2022 05:11 PM
बहुत खूब
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Abhinav ji
07-Mar-2022 08:43 AM
Nice
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Dr. Arpita Agrawal
07-Mar-2022 12:59 AM
बेहद खूबसूरत 👌👌
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